ब्युरो रिपोर्ट--
नवाबगंज बाराबंकी। बाराबंकी के बस अड्डे से एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां टीआई अशरफ अली द्वारा चेकिंग के दौरान डांट-फटकार से एक सविंदा परिचालक की तबीयत बिगड़ गई और कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई। घटना के बाद बस अड्डे के परिचालकों में काफी रोष है, वह अधिकारियों पर प्रताड़ना और लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। संविदा कर्मचारियों का कहना है कि अधिकारियों ने यदि समय पर इलाज कराया होता तो हमारे साथी की जान बच जाती। उन्होंने कहा कि अगर दोषी टीआई पर कार्रवाई नहीं हुई तो वह सभी हड़ताल को मजबूर होंगे।
बात दें कि घटना मंगलवार सुबह लगभग 7 बजे की है। जहां बाराबंकी के पुराने बस स्टॉप से अनुबंधित बस (यूपी 41 एटी 2760) टिकैतनगर की ओर जा रही थी। बस शाहवपुर टोल प्लाजा के पास पहुंची थी, जहां टीआई अशरफ अली ने चेकिंग के दौरान बस सविंदा परिचालक सुरेशचंद्र सैनी (58) पुत्र इंद्रेश सैनी को एक यात्री का टिकट न बनने पर कड़ी फटकार लगा दी।
बताया जा रहा है कि फटकार के बाद परिचालक की तबीयत बिगड़ गई। टीआई ने बस को बाराबंकी बस अड्डे भिजवाया, लेकिन वहां बस पहुंचते-पहुंचते परिचालक की हालत काफी गंभीर हो गई। बस अड्डे पहुंचने पर वहां मौजूद अन्य संविदा कर्मचारियों द्वारा परिचालक को जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों का कहना है कि मौत का कारण हार्ट अटैक था। घटना के बाद बस अड्डे पर मौजूद अन्य सविंदा परिचालकों और कर्मचारियों में भारी आक्रोश व्याप्त हो गया। परिचालकों ने आरोप लगाया है कि गंभीर हालत के बावजूद अधिकारियों ने समय पर इलाज कराने की कोई पहल नहीं की, जिससे परिचालक की जान चली गई।
बस अड्डे पर मौजूद संविदा कर्मचारियों का आरोप है कि घटना के कई घंटे बाद तक कोई भी वरिष्ठ अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा, जिससे परिचालकों में नाराजगी और बढ़ गई। सविंदा परिचालकों का कहना है कि लगातार काम के दबाव और अधिकारियों के दुर्व्यवहार से उनकी स्थिति और अधिक खराब हो रही है। मृतक परिचालक सुरेशचंद्र सैनी, ग्राम जेवरी थाना मसौली, जिला बाराबंकी के निवासी थे। उनकी उम्र 58 वर्ष थी और वह लंबे समय से अनुबंधित बसों में अपनी सेवाएं दे रहे थे। इस घटना को लेकर बस अड्डे के परिचालक उच्च अधिकारियों से निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
वहीं इस घटना ने सविंदा कर्मचारियों की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना सविंदा कर्मचारियों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार और अधिकारियों की लापरवाही की ओर इशारा करती है। प्रशासन को इस मामले में तुरंत कार्रवाई कर दोषियों को सजा देनी चाहिए, ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।