नवाबगंज बाराबंकी। नगर पालिका के अस्थायी रैन बसेरों में बेसहारा, असहाय, गरीब और जरूरतमंद लोगों को जगह नहीं मिल पा रही है। वहां तखत और रजाई-गद्दे की व्यवस्था तो है, पर सर्द रातों में इनका इस्तेमाल करने के लिए जरूरतमंदों को आधार कार्ड न होने के चलते जद्दोजहद करनी पड़ रही है। शहर के पटेल तिराहे पर स्थित जमुरिया नाला पुल समेत अन्य स्थानों पर लोगों को खुले आसमान के नीचे रात काटनी पड़ रही है।
पटेल तिराहे के पास 15 बेड का अस्थायी रैन बसेरा है। इस रैन बसेरे में शुक्रवार की रात तीन-चार लोग ही मिले। हालांकि केयर टेकर ने दावा किया कि रैन बसेरों में ठहरने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है। हालांकि इस रैन बसेरे में शुक्रवार रात चार लोग ही मिले। बाकी 11 बेड खाली थे। जबकि यहां से कुछ दूरी पर जमूरिया नाले के पुल पर तमाम मजबूर लोग खुले आसमान के नीचे सिर्फ चादर ओढ़कर सोते मिले। यहां सो रहे लोगों ने बताया कि रैन बसेरे में आधार कार्ड मांगते हैं। उनके पास आधार कार्ड नहीं है। वह मजदूरी करते हैं और रात को यहीं पर सो जाते हैं।
हालांकि इस रैन बसेरे के केयर टेकर ने बताया कि कि अब यहां पर आने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है। केयरटेकर के मुताबिक रैन बसेरे में रुकने के लिए आधार कार्ड या कोई भी आईडी दिखाने की जरूरत होती है। लेकिन अगर किसी के पास आधार कार्ड नहीं है तो वह उसे भी सोने के लिए इजाजत दे देते हैं। ऐसे बड़ा सवाल यह है कि खुले आसमान के नीचे सो रहे लोगों की जान पर अगर इस ठंड के चलते बन आई तो उसका जिम्मेदार कौन होगा। वहीं इस बीच शुक्रवार की देर रात डीएम सत्येंद्र कुमार ने भी रैन बसेरों का निरीक्षण किया। और ठंड में किसी भी बेसहारा को खुले आसमान के नीचे सोना ना पड़े इसके लिए दिशा निर्देश दिए।